कुछ अनजाना अनसुना राज ए उल्फत था छुपाने को
हम वो कर गये बयान जो ना था सुनाने को
हमने कीये ये लाख जतन तुम्हे भुलाने को
पर याद का क्या वो तो आ ही गयी हमे रुलाने को
हम वो कर गये बयान जो ना था सुनाने को
हमने कीये ये लाख जतन तुम्हे भुलाने को
पर याद का क्या वो तो आ ही गयी हमे रुलाने को
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