वो क्या है जो हमे रोक रहा स्वछंद जीने से
वो क्युन हमे रोक रहा खुशियां पिरोने से
हम क्युन नही निकल रहे उस खुशी के रास्ते पे
हम क्युन करें उनके लिये फूल इच्छा के तर्पण
नही रुकेंगी, नही सहेंगी अब ये बेड़ियाँ
बढ़ चलेंगी खुद उड़ेंगी अपने परों से
नही सुनेगी, नही रुकेगी, किसी के रोके से
हम ज्वाला है, हम शक्ति हम नारी है, हम ही मुक्ति है
कर पहचान बढ़ेंगी हर दम से
नही थमेंगी किसी के डर से
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