Sunday 6 September 2015

************तुम ***********

गुमसुम से जहाँ में हंसी बन गए तुम
आँखों की नमी की ख़ुशी बन गए तुम
किस तरह करूँ शुक्रिया कहाँ हो तुम

अब तो यहाँ भी और वहां भी हो तुम 

आशा की हर लहर में हो तुम
उमीदों की हर किरण में हो तुम
दिन उजले और रातों के अंधियारों में तुम
कहाँ छिपाऊँ मेरी अब हर बात में हो तुम 


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