Monday 8 August 2016

****दोस्त ****


हम ये अब तक समझ ना पाए, दोस्त है क्या ये कोई बताए। 
आंख खुली जिनकी बाँहों में, माँ वो पहली दोस्त कहाए। 
उँगली पकड़ चले हम जिनकी, दोस्त पिता जो राह बताए।
बचपन के गलियारों में जो, मिले अजनबी दोस्त कहाए।
हर गलती पर पर्दा डाले, भाई बहन सब दोस्त कहाए।
जिनके कारण ज्ञान मिला है, ऐसे गुरु जी दोस्त कहाए।
छोड़ चले जब बाबुल का घर, पिया मिले वो दोस्त कहाए।
माँ जैसी सासु माँ पाकर, दोस्त मिली हम धन्य कहाए।
पिता नही पर प्यार पिता का, ऐसे ससुर जी दोस्त कहाए।
दीदी सा दुलार मिला जब, ननद जेठानी दोस्त बनाए।
भाई जैसा मान मिला है , जेठ देवर जैसे दोस्त है पाए।
जन्म दिया जब दो कलियों को, उनको भी तो दोस्त बनाए।
हर पल हर दम मिलते जिससे, साझा करते कहानी किस्से।
जिनसे मिलते दिल ये अपने, वो सब रिश्ते दोस्त कहाए।
Happy friendship Day 🌹

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