रूठ कर ना जाना कभी शबे महफिल से, उठते हैं तूफान ए जज्बात इस दिल में |
मनाना हमको आता है हक से, पर वो मानते नहीं हमसे ||
करो ना गुरूर इतना भी हम से, हम जो चले गए फरियाद करोगे रब से |
आज जो पल मिले जी लो खुशी से , कल ना कहना मिले नहीं हंसी से ||
मनाने रुठने के तजुर्बे हैं ता उम्र से, है यही दुआ ना रुठे जिंदगी ये हमसे |
मान जाओ की जिंदगी है बेवफा, फिर ना कहना 'कहाँ खो गए' हमसे ||
मनाना हमको आता है हक से, पर वो मानते नहीं हमसे ||
करो ना गुरूर इतना भी हम से, हम जो चले गए फरियाद करोगे रब से |
आज जो पल मिले जी लो खुशी से , कल ना कहना मिले नहीं हंसी से ||
मनाने रुठने के तजुर्बे हैं ता उम्र से, है यही दुआ ना रुठे जिंदगी ये हमसे |
मान जाओ की जिंदगी है बेवफा, फिर ना कहना 'कहाँ खो गए' हमसे ||
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 06 मई 2017 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! सुंदर
ReplyDeleteBeautiful lines.
ReplyDeleteBeautiful lines.
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