Sunday 19 March 2017

****रूठना ****

रूठ कर ना जाना कभी शबे महफिल से, उठते हैं तूफान ए जज्बात इस दिल में |
मनाना हमको आता है हक से, पर वो मानते नहीं हमसे ||
करो ना गुरूर इतना भी हम से, हम जो चले गए फरियाद करोगे रब से |
आज जो पल मिले जी लो खुशी से , कल ना कहना मिले नहीं हंसी से ||
मनाने रुठने के तजुर्बे हैं ता उम्र से, है यही दुआ ना रुठे जिंदगी ये हमसे |
मान जाओ की जिंदगी है बेवफा, फिर ना कहना 'कहाँ खो गए' हमसे ||

5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 06 मई 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
    

    ReplyDelete
  2. बहुत ख़ूब! सुंदर

    ReplyDelete

एक अजनबी हसीना से

 Learn to pronounce एक अंजनबी हसीना से ... झील सी आंखों मे उसकी डूब के यूँ रह गया  जुल्फों के साए में कहीं खो गया झीलजैसे चेहरे पर चं...