Friday 14 August 2015

*********जश्न ए आज़ादी********

आज़ादी का दिन है आया खुशियां चारों ओर वो  लाया
हमने आशा का दीप जलाया हर घर है तिरंगा लहराया
आज उड़े आज़ाद परिंदे जैसे. वैसे हर एक दिल मुसकाया
पर  वो बेड़ी नज़र ना आती जिसने मेरा दिल दहलाया
आज बेटियों के मान पर अभिमान का ध्वज लहराया
बेटे की है चाह मे किसने बेटी के लहू से नहाया
खेल खिलौने वाले हाथों मे झाडू, हतोडा  किसने थमाया
एक किसान जो देता  अन्न धान्य उसको मजबूर किसने बनाया
क्या आज़ादी के माने ये है महापुरुषों ने क्या ये पाढ पढ़ाया
देकर अपने शीश की भेंट को शहीदों ने. मान बढ़ाया
पर क्या उनके मान को हमने आज कोई सम्मान दिलाया
सोचें इस भरत पर्व पे हम सब हमने क्या खोया और क्या पाया
और करें संकल्प सभी करेंगी अच्छा जो हमे बुज़ुर्गों ने सिखाया
जय हिंद  भारत माता की जय
आज़ादी के इस पवन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामना
तनुजा श्रीवस्तव

Thursday 6 August 2015

*****************फिजा *************************

धुंध पड़ी है आज  फिजा में महक घुली है आज हवा में
कैसा संदेशा है लायी जिसको पंछी लिए उडे गगन में
दूर गगन में बदल डोले पानी लेके अंतर्मन में
नीर झलक न जाये पलक से बैठी में इस अंतर्द्वंद में
कैसा ये एहसास सुहाना कभी दुःख है कभी ख़ुशी है मन में
तय करते है रोज़ सफ़र हम फिर भी नहीं ठिकाना जग में
खुली फिजा की साँस है अमृत कौन है विष घोल रहा है इनमे
धुंध पड़ी है आज  फिजा में महक घुली है आज हवा में

Monday 3 August 2015

************इच्छा तर्पण*****************


वो क्या है जो हमे रोक रहा स्वछंद जीने से 
वो क्युन हमे रोक रहा खुशियां पिरोने से 
हम क्युन नही निकल रहे उस खुशी के रास्ते पे 
हम क्युन करें उनके लिये फूल इच्छा के तर्पण 
नही रुकेंगी, नही सहेंगी अब ये बेड़ियाँ
बढ़ चलेंगी खुद उड़ेंगी अपने परों से
नही सुनेगी, नही रुकेगी, किसी के रोके से
हम ज्वाला है, हम शक्ति हम नारी है, हम ही मुक्ति है
कर पहचान बढ़ेंगी हर दम से
नही थमेंगी किसी के डर से

Sunday 2 August 2015

*************बारिश***************

बारिश की झडी लगी है कहती हम से वही कडी है
वो बचपन की यादे ढूॅढे 
जिनमे भिगे भागे घूमे 
वो मिलने के सपने देखे
जिनमे खो जाने को मचले
बहुत पुरानी याद पडी है
बारिश की फिर झडी लगी है
कितने सावन बिते तुम बिन
कितने तुम संग साथ बिताये
बूंद पडे जब इस तन पर तो
बहला जाये मन ये गाये 
मनलुभावन ये वो घडी है
बारिश की फिर झडी लगी है
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुपचुप
उसकी आहट दिल तक आये
हमने पल जो साथ बिताये
पलक झपकते बह वो जाये
जैसे बारिश गिरती जाये 
बडी सुहानी याद पडी है
देखो बारिश की फिर वो झडी लगी है

*********************यारीयाँ*************************

यारों की यारी जैसे खुशी की फुलवारी 
यारों की यारी जैसे याद हो कोई प्यारी 
यारों की यारी जैसे महकती फुलवारी 
यारों की यारी दिलो जान हो हारी 
यारों की यारी दिलकश खुमारी 
यारो की यारी याद आये हर बारी 
यारों की यारी जैसे कोई मनमानी 
यारों की यारी जैसे कीमत बेमानी 
यारों की यारी पल पल साथ बितानी 
यारों की यारी का क्या करूँ  बयाँ इतनी खूबसूरत इतनी प्यारी की शब्द ना मिले ना कही जाये ये किसी की जुबानी

एक अजनबी हसीना से

 Learn to pronounce एक अंजनबी हसीना से ... झील सी आंखों मे उसकी डूब के यूँ रह गया  जुल्फों के साए में कहीं खो गया झीलजैसे चेहरे पर चं...