आज भी याद है वो दिन
जैसे कल ही बिताया हो वो पल बिताया क्या जीया हो वो पल और उस पल में सिर्फ हम है ना ही वो आज है ना ही वो कल ये वी पल है जहान ना बंदिशे है जमाने की ना रस्मों के बंधन है ना उम्र की सीमा है बस यही है वो पल घंटो बातें करने पर भी ना खतम होने वली कहनी है ये पल वो पल अभ्भी सजीव सा इन आँखों में चलता है जैसे कभी ना खतम होने वाला ये पल वो फूल शायद सुख गये होंगे पर उनकी महक से खुस्नुमा है ये पल वो रास्ते अब भी आबाद होंगे पर उन्मे छुपी उस तनहाई जैसा पल हम जुदा हुए जिस पल आज भी सिसकियाँ लेता है वो पल तेरे आने की राह ताके बैठा सहमा सकुचा सा ये पल |
Wednesday, 22 July 2015
**************वो पल********************
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