Sunday, 19 March 2017

****बेजुबान ****

दिल कहता है आज कुछ लिख दें, कि बस में नहीं है आज वो लिख दें|
कब तक यूं ही घुट घुट जीयें, कभी तो करें आगाज, कुछ लिख दें|
मन में अतंरद्वन्द्व कई पर, इनको छोड़, मन की आवाज़  लिख दें|
दबी हंसी और छुपी खुशी से दूर करें सब कयास और लिख दें|
जीवन की इस धूप छांव के, उँचे नीचे पड़ाव सब लिख दें|
लिख दें वो छूटे से लम्हे, कुछ टूटे लम्हात भी लिख दें|
करें कोई जो शोर सा मन में, उसकी चीख पुकार को लिख दें|
जो गर सुन ले एक बार वो, मन के सारे तार वो लिख दें|
दिल कहता है आज कुछ लिख दें, कि बस में नहीं है आज वो लिख दें|

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