Sunday 11 August 2019

***जीवन का श्रृंगार ***

माना कि है प्यार तुझसे जीवन का श्रंगार तुझसे |
तुझको सोचूं तुझको पा लूँ यही कहूं हर बार तुझसे||
फिर क्यूँ मैं इस डर में जीती हो ना जाऊँ दूर मै तुझसे|
क्यूँ है प्यार का एहसास जुदा क्या चाहूँ मैं आखिर तुझसे||
कहीं ना हो अपमान प्यार का यही सोचकर कहती तुझसे|
दे दो मुझको विश्वास प्यार का नहीं मांगती कुछ भी तुझसे||
दूर बहुत हम माना मैंने पास बुला ले कहती तुझसे|
ये दूरी तू और बढ़ा ना यही गुजारिश हरदम तुझसे||
आजा मिलके काट फासले कहती है ये दूरी तुझसे |
हर गम को कर दूर तू मुझसे गले लगा ले आज प्यार से ||

तनुजा 

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