उड़ चला ये वक़्त जिसकी मुझे तलाश थी
उसी वक़्त अपनों से मिलने की आस थी
ना हुआ वो जिसकी मन को आस थी
पर आती उनकी यादें मन के आस पास थी
चल चलें ए दिल वहीं जहाँ कोई नहीं
वही जहाँ मृग तृष्णा सी मुलाकात थी
उसी वक़्त अपनों से मिलने की आस थी
ना हुआ वो जिसकी मन को आस थी
पर आती उनकी यादें मन के आस पास थी
चल चलें ए दिल वहीं जहाँ कोई नहीं
वही जहाँ मृग तृष्णा सी मुलाकात थी
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