Thursday, 31 December 2015

******************नया साल***************

******************नया साल***************
लो आ गया फिर एक नया साल ले के सपने हज़ार
फिर वही खुशियाँ उमीदें उड़ जाने की सपनो के पार
जहाँ लगे की है शांति सुकून अब हर जगह जार जार
क्या सच है ये उम्मीद जिस पर हम जीते है हर बार
कितने लोग मिलते कितने बिछड़ जाते हमसे हर साल
फिर क्यूँ जाने वालों की याद करता है ये दिल बार बार
दुनिया वही सपने नए पर साथ हमेशा अपने हर बार
नए साल के आगमन पर लिखे पन्ने कुछ नया संवार
दुनिया को देखे अपने ढंग से और दिखाए कुछ कमाल
कर जाएँ कुछ ऐसा कि कायम रह जाये हमारी मिसाल
आप सभी को मुबारक हो दिल से ये “ 2016 “ नया साल



Sunday, 15 November 2015

*********शुभ दीपावली ****************

आओ खुशी के दीप जलायें,
सब मिल मंगल गाना गायें,
फल, मीठा और मेवा खायें,
मिलकर सब दिवाली मनायें

सब्र, ज्ञान का दीप जलायें,
मन के तमस को दूर भगायें,
बिखरी है जो दूर रोशनी,
उसको मन  के भीतर लायें
गर मिले गरीबी का अंधियारा,
अपनेपन से  उसे मिटायें
जगमग- जगमग चकाचौंध से,
पथ से अपने भटक ना जायें,
अपनी अभिलाषाओं  के चलते,
अपनो को हम  भूल ना जायें
करें ना हम अभिमान कभी भी,
सब पर अपना प्यार लुटायें
खूब जलायें पटाके,फुलझड़ी
पर कभी किसी का दिल ना जलायें
स्वागत  करो लक्ष्मी गणेश का,
करो प्रार्थना शुभ- लाभ वो लायें,

Monday, 28 September 2015

*********************दोस्त *******************

हँसते हँसाते  गीत गुनगुनाते चला आता है मुस्कुराते 
जीये जिंदगी खुशियों से दिखे दुख दर्द से दूर भागते 
यार दोस्तों की महफ़िल मे सबको मिले वो रंग जमा दे 
दिल से सच्चा मन  से अच्छा मिल गया अचानक मुझे चौकाते 
दोस्त है पाया तुम में अच्छा यूँ ही रहना मुस्कुराते

Sunday, 6 September 2015

************तुम ***********

गुमसुम से जहाँ में हंसी बन गए तुम
आँखों की नमी की ख़ुशी बन गए तुम
किस तरह करूँ शुक्रिया कहाँ हो तुम

अब तो यहाँ भी और वहां भी हो तुम 

आशा की हर लहर में हो तुम
उमीदों की हर किरण में हो तुम
दिन उजले और रातों के अंधियारों में तुम
कहाँ छिपाऊँ मेरी अब हर बात में हो तुम 


Friday, 14 August 2015

*********जश्न ए आज़ादी********

आज़ादी का दिन है आया खुशियां चारों ओर वो  लाया
हमने आशा का दीप जलाया हर घर है तिरंगा लहराया
आज उड़े आज़ाद परिंदे जैसे. वैसे हर एक दिल मुसकाया
पर  वो बेड़ी नज़र ना आती जिसने मेरा दिल दहलाया
आज बेटियों के मान पर अभिमान का ध्वज लहराया
बेटे की है चाह मे किसने बेटी के लहू से नहाया
खेल खिलौने वाले हाथों मे झाडू, हतोडा  किसने थमाया
एक किसान जो देता  अन्न धान्य उसको मजबूर किसने बनाया
क्या आज़ादी के माने ये है महापुरुषों ने क्या ये पाढ पढ़ाया
देकर अपने शीश की भेंट को शहीदों ने. मान बढ़ाया
पर क्या उनके मान को हमने आज कोई सम्मान दिलाया
सोचें इस भरत पर्व पे हम सब हमने क्या खोया और क्या पाया
और करें संकल्प सभी करेंगी अच्छा जो हमे बुज़ुर्गों ने सिखाया
जय हिंद  भारत माता की जय
आज़ादी के इस पवन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामना
तनुजा श्रीवस्तव

Thursday, 6 August 2015

*****************फिजा *************************

धुंध पड़ी है आज  फिजा में महक घुली है आज हवा में
कैसा संदेशा है लायी जिसको पंछी लिए उडे गगन में
दूर गगन में बदल डोले पानी लेके अंतर्मन में
नीर झलक न जाये पलक से बैठी में इस अंतर्द्वंद में
कैसा ये एहसास सुहाना कभी दुःख है कभी ख़ुशी है मन में
तय करते है रोज़ सफ़र हम फिर भी नहीं ठिकाना जग में
खुली फिजा की साँस है अमृत कौन है विष घोल रहा है इनमे
धुंध पड़ी है आज  फिजा में महक घुली है आज हवा में

Monday, 3 August 2015

************इच्छा तर्पण*****************


वो क्या है जो हमे रोक रहा स्वछंद जीने से 
वो क्युन हमे रोक रहा खुशियां पिरोने से 
हम क्युन नही निकल रहे उस खुशी के रास्ते पे 
हम क्युन करें उनके लिये फूल इच्छा के तर्पण 
नही रुकेंगी, नही सहेंगी अब ये बेड़ियाँ
बढ़ चलेंगी खुद उड़ेंगी अपने परों से
नही सुनेगी, नही रुकेगी, किसी के रोके से
हम ज्वाला है, हम शक्ति हम नारी है, हम ही मुक्ति है
कर पहचान बढ़ेंगी हर दम से
नही थमेंगी किसी के डर से

एक अजनबी हसीना से

 Learn to pronounce एक अंजनबी हसीना से ... झील सी आंखों मे उसकी डूब के यूँ रह गया  जुल्फों के साए में कहीं खो गया झीलजैसे चेहरे पर चं...