Sunday, 19 March 2017

****बूँद ****

छूट कर तेरे वजूद से बनूँगी मैं भी बूंद सी।
खुद पर इतराऊ कैसे नहीं रहूंगी पहले सी।।
छलकूगीं कुछ  ऎसे उठकर जैसे करती नृत्य सी।
सर उठाकर चलूं मैं खुद पर इठलाती सी।।
एहसास है ये  कि कहीं तो मिलती तुझसे ही।
तुझ बिन नहीं वजूद है मेरा बस तुझमें ही मिलती सी।।

****खुशी ****

आज के दिन ही मिली मैं तुमसे, पाकर तुमको मिली खुशी से।
तुम से ही मैं माँ कहलाई, पहली बार आँखे छलकी खुशी से।।
देख तुम्हें एहसास हुआ ये, जैसे जन्नत पायी तुम्ही से।
तुम से हर स्वप्न है पूरा, तुम आई धरा पर स्वर्ग से।।
नाना-नानी, मौसी-मामा,तुम उनकी दुलारी हो  सबसे।
प्यार दुलार भी मिला खुब है क्योंकि आई पहले सबसे।।
आज सभी की यही दुआ है, फूलो फलों और बढो दिल से।
जहां तलक नजर ये जाती, तुम पहुंचो बस उस मंजिल पे।।

****बंधन ****

क्यों तू फंसती मोह जाल में, बंधन के इस प्रेम जाल में।
नहीं किसी को वक्त यहाँ, क्यों करना उम्मीद जहां में।।
तो दे बंधन छोड दे नाते, पर फैला उड दूर गगन में।
खुशियाँ, प्यार हो जहाँ पे, ले चल मन उस स्वप्न धरा में।।
कोई नहीं हो जहां ये कहता, घुट ले तू अपने ही मन में।
घूमू झूम के उछलू कूदूं, बस अपनी मतवाली धुन में।।

****प्रेम पाश ****

हमने समझा प्यार हुआ था, उनको भी इकरार हुआ था।
बहने लगे हम उस पल में, जिसमें उनका दीदार हुआ था।।
ना सोचा की बुरा भला क्या, दिल को वो लगा भला था।
बढते रहे हम उसके पीछे, नहीं सुना जो शोर था पीछे।।
पलकें मूदें आँखे मिचें, मिलते थे वो इश्क जहां था।
तेरी यादें, बाहें और बातें, हर पल तेरे साथ बुना था।।
क्या थी खबर वो ये कह देंगें, भूल जा जो हमने कहा था।
वो जो दिखता प्यार था, वो ख्वाबों का जाल था।।
तोड चले तुम एक ही पल में, जो कभी स्वप्न संसार था।
ना सोचा तुमने एक पल, दिल में क्या यही प्यार था।।
जो मेरे आँसू ना देखे सोचूँ कभी क्या सच वो प्यार था।
जो मेरी सिसकी ना समझे, क्या वो सचमुच तेरा प्यार था।।
मत पड इस मोह पाश में, हुआ वही जो तेरा आज था।
मान जा दिल अब बात ये,  छल था कोई जो प्यार नहीं था।।

****

कहाँ छिपा दूँ तुझको बता
रख दूँ कहीं दूर अंखियों से
या कर लूँ ख़ुद को दूर बता
मन में जो झांके चुपके से तू
भाग कहाँ मै जाऊँ बता

****खोना ****

आसानी से वो कह गए कि रोना किस बात का,
हमने तो कुछ दिया नहीं फिर खोना किस बात का
कौन कहे कि तुम ही थे सब जो खो गये हमसे,
है रोना इस बात का

****जननी ****

छोटी सी आशा वो मन में लिए, हर पल जीती अपनो के लिए |
करती नहीं गिला कभी वो, सह लेती गम अपनो के दिए ||
रात जाग कर काम करे वो, सुबह उठे पलकों पे ख्वाब लिए |
इधर उधर हर ओर देखे वो, पर कोई नहीं खड़ा उसके लिए ||
माँ की ममता है जो सबकी, कभी अर्धांगिनी का प्यार लिए |
कभी बने वो सखी सहेली, कभी मिले आँचल की छाँव लिए ||
ये जीवन उसकी ही देन है, फिर भी नहीं कुछ उसके लिए |
कोई तो हो जो ये भी कहते दे, आ सब कुछ लुटा दूँ तेरे लिए ||
ना करे कोई अपमान भी उसका, हो थोड़ी इज़्ज़त उसके लिए |
कर दे जो सब कुछ अर्पण, क्या हम ना कुछ करें उसके लिए ||
जिसने ना मांगा कुछ भी, आज रखे ये उपहार उसके लिए |
आओ मिलकर हर्ष मनाए, हम आज उस जननी के लिए ||

एक अजनबी हसीना से

 Learn to pronounce एक अंजनबी हसीना से ... झील सी आंखों मे उसकी डूब के यूँ रह गया  जुल्फों के साए में कहीं खो गया झीलजैसे चेहरे पर चं...